हिन्दी
हिन्दी भाषा प्रेम की , जिसका कहीं न तोल ।
अनगिन इसके रूप हैं ,मीठे जिनके बोल ।।
हिन्दी मातृ समान है, देती सीख अपार ।
तुलसी सूर कबीर में , गाती भारत सार ।।
हिन्दी बिन्दी देश की ,सजती उसके माथ ।
देवी भाषा की सुता,लिये हाथ में हाथ ।।
डाॅ. रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल