हिन्दी
आह निकलती है दिल से जब अंग्रेजी से पिटती हिंदी
सर्वोत्तम है अपनी भाषा मुझे प्राण से प्यारी हिंदी
तुम बिन गीता कैसे बनती कैसे बनती वेद रिचायें
तुम ही भारतमाँ की भाषा तुम ही भारत भाल की बिंदी
अशोक मिश्र
आह निकलती है दिल से जब अंग्रेजी से पिटती हिंदी
सर्वोत्तम है अपनी भाषा मुझे प्राण से प्यारी हिंदी
तुम बिन गीता कैसे बनती कैसे बनती वेद रिचायें
तुम ही भारतमाँ की भाषा तुम ही भारत भाल की बिंदी
अशोक मिश्र