Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 1 min read

हिन्दी मन की पावन गंगा

हिंदी मन की पावन गंगा.

जन भाषा होती स्वदेश की, सबके मन को रखती चंगा.
हिंदी माथे की बिंदी है, हिंदी मन की पावन गंगा.
जैसे मातृभूमि होती है, स्वर्ग से अधिक भावन जग में.
वैसे मातृभाष्य होता है,दर्प से भरा सावन जग में.
मन में भाव जगाने वाली, हिंदी लोक लुभावन गंगा.
हिंदी माथे की बिंदी है, हिंदी मन की पावन गंगा.

जननी संस्कृत भाषा भाषी, समृद्ध वर्तनी सहित व्याकरण.
वैज्ञानिक भाषा इस जग में, वैज्ञानिक है मूल आचरण.
शास्त्रों की भाषा है हिंदी,दर्शन की मनभावन गंगा.
हिंदी माथे की बिंदी है, हिंदी मन की पावन गंगा.

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
Tag: गीत
8 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
अरशद रसूल बदायूंनी
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
डर लगता है
डर लगता है
Dr.Pratibha Prakash
नए वर्ष की इस पावन बेला में
नए वर्ष की इस पावन बेला में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"विश्व हिन्दी दिवस"
Dr. Kishan tandon kranti
We can rock together!!
We can rock together!!
Rachana
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
Ravi Prakash
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
भोर समय में
भोर समय में
surenderpal vaidya
.......अधूरी........
.......अधूरी........
Naushaba Suriya
खुद के अलावा खुद का सच
खुद के अलावा खुद का सच
शिव प्रताप लोधी
मन का जादू
मन का जादू
Otteri Selvakumar
वाह भई वाह,,,
वाह भई वाह,,,
Lakhan Yadav
*पानी केरा बुदबुदा*
*पानी केरा बुदबुदा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
गर्मी आई
गर्मी आई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
Sonam Puneet Dubey
2900 से अधिक पोस्ट्स पर 5.24 लाख से ज़्यादा
2900 से अधिक पोस्ट्स पर 5.24 लाख से ज़्यादा "व्यूज़" साबित करन
*प्रणय प्रभात*
3199.*पूर्णिका*
3199.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक मैसेज सुबह करते है
एक मैसेज सुबह करते है
शेखर सिंह
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
Manisha Manjari
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
पूर्वार्थ
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
Loading...