हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
हिन्दी की गंगा एक बहाओ
विश्व मंच पर इसे सजाओ
कुछ गीत लिखो तुम हिन्दी में
कुछ रचनाओं से इसे सजाओ
पावन कर दो इसका कण – कण
हिन्दी को माथे पर बिठाओ
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
हिन्दी पर विचार
हिन्दी की गंगा एक बहाओ
विश्व मंच पर इसे सजाओ
कुछ गीत लिखो तुम हिन्दी में
कुछ रचनाओं से इसे सजाओ
पावन कर दो इसका कण – कण
हिन्दी को माथे पर बिठाओ
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”