हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा विषय – ठसक*
आज दशहरा पर सुनो , अन्यायी परिणाम |
रावण की #राना ठसक , नष्ट किए प्रभु राम ||
ठसक नहीं #राना रखो , जिसमें हो अभिमान |
रावण जैसी आपको , बुरी मिले पहचान ||
ठसक यहाँ किस बात की , जाना खाली हाथ |
यहाँ कर्म का फल सदा , #राना रहता साथ ||
ठसक जहाँ गुमराह हो , होता है नुकसान |
कह सकते #राना यहाँ , डूबे सब अभिमान ||
ठसक ठहरकर दे सदा , #राना गहरी चोट |
चंगुल में यह फाँसकर , मन में लाती खोट ||
कंस हुआ रावण हुआ , देखो इनकी ओर |
ठसक गई #राना कहे , ले बदनामी शोर ||
एक हास्य दोहा –
धना ठसक दिखला रहीं , #राना रहा निहार |
नैनों से वह पूछती , कैसा है शृंगार || 😇🙋
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✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़*
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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