*हिन्दी दिवस*
संस्कृत के प्रस्फुटन से गढ़े ,
हिन्दी एक मधुर-सी भाषा है ,
इसका उच्चारण सही से करो तो ,
इससे अच्छी नहीं कोई भाषा है।
याद करो उस लम्हा को जब ,
हिन्दी जग में सर्वत्र प्रचलित थी ,
क्या हुआ अब हिन्दी को ,
हिन्दी की प्रयोगता क्यों कम रही।
हिन्दी को कम आँकने वाले
आज वही विदेशी भी स्वंय
हिन्दी बोलना सीख रहें हैं
फिर क्यों हम भारतवासी
हिन्दी बोलने से शर्मां रहे हैं।
मत शर्माओ हिन्दी बोलने से
इससे कोई ग्वार नहीं होता
और अंग्रेजी बोलने मात्र से
जग में वह महान नहीं होता।
लोग कहते हिन्दी की प्रमाणिकता घटीं जा रही
अरे!क्यों न घटे इसकी प्रमाणिकता आखिर,
हिन्दी बोलने से कतरा रहे मनुष्य,
तभी तो प्रमाणिकता घटी जा रहीं।
हमारी राष्ट्रभाषा ,मातृभाषा,
यहाँ की जन्मबोली हैं हिन्दी,
जितने भी महान व्यक्ति हुए,
वो भी हिन्दी के प्रर्वतक हुए,
ऐसी महानता वाला हैं हिन्दी।
महात्मा गांधी, काका कालेलकर ,
हजारी प्रसाद द्विवेदी और अन्य ,
साहित्यकारों के अथक प्रयासों ने ही,
हिंदी को राष्ट्रभाषा गढ़ाया है ,
ऐसी हमारी मीठी हिन्दी भाषा हैं।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी
स्वतंत्रता का जन – जन माध्यम बनी
इतिहास में अपना महत्व दिखाया
अपने को संस्कृति का दर्पण गढ़ाया।
हमारी सांस्कृतिक भाषा हैं हिन्दी ,
भारत की प्रतिष्ठित शान है यह ,
भारत की संविधान सभा ने हिन्दी को ,
चौदह सितंबर उन्नीस सौ उन्चास में ,
भारत संघ की राजभाषा अंगीकारा है।
हमारा ये ना कहना हैं कि ,
हिन्दी को ही सर्वत्र फैलाओ
हमारा यही कहना हैं कि ,
गैर भाषाओं का भी सम्मान करो
पर हिन्दी को बरकरार रखो।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार