हिन्दी की बहन उर्दु
जो बन्दिशें बाँधी थी
तेरी जुगल बन्दी में
वो आज सिसकती हैं
नफरत की बारिश में
किसी की खाला थी
किसी की मईया थी
हम तो सगी बहन थी
तू बुर्का नशीं हो गई
मैं बे पर्दा हो गई
सदियों साथ गुजारी
आज बेज़ार हो गई
मैं हिन्दु तू मुसलमाँ हो गई
-जगमोहन
9414140044