हिंद का दिल रो रहा है, हँस रहे हम शूर बन/ हिंद कब तक ढोएगा दुख-बेबसी की गर्द को
बालश्रम करते दिखे हैं, कई तन मजबूर बन|
हिंद का दिल रो रहा है, हँस रहे हम शूर बन|
नग्न-भूखी बाल काया ,कह रही है दर्द को|
हिंद कब तक ढोएगा दुख-बेबसी की गर्द को|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
26-02-2017