हिंदू धर्म आ हिंदू विरोध।
हिंदू धर्म आ हिंदू विरोध।
-आचार्य रामानंद मंडल
वर्तमान भारत के चारटा नाम हय -आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, इंडिया आ भारत।तहिना वर्तमान हिंदू धर्म के चार टा नाम हय -आर्य धर्म, ब्राह्मण धर्म,सनातन धर्म आ हिंदू धर्म ।समय यानी कि काल परिवर्तनशील हय।त जेना भारत के नाम बदलैत रहलैय तहिना धर्मो के नाम बदलैत रहलैय।आइ कालि सबसे ज्यादा चर्चा -परिचर्चा हिंदू आ हिंदू धर्म पर हो रहल हय। हिंदू धर्म के विरोध ज्यादा हिंदूये क रहल हय।खास के जे हिंदू धर्म मे शोषित आ दमित वर्ग हय। हिंदू धर्म में जे वर्णव्यवस्था वा वर्णाश्रम धर्म हय वोइसे लोग नाराज़ हय। आइ कालि संत तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर ज्यादा वाद -विवाद हो रहल हय। रामचरितमानस में कुछ जाति के अधम आ नीच बतायल गेल हय।त उ वर्ग ज्यादा आक्रामक हय।वो लाजिमीयो हय।जैइ वर्ग के गुणगान वा महिमा मंडित कैल गेल हय वो वोकरा पक्ष मे हय।वोकर कहना हय कि रामचरितमानस में सभ जाति के समभाव सं देखल गेल हय। जेना शबरी के जूठा बैर खाय के बात त केवट के दोस्ती।त इहो बात अच्छा न लगैय हय।शबरी त भक्त हय। दासी हय पामर हय।नीच जाति के हय जे शबरी स्वयं स्वीकार करैय हय।भला अब अइ युग मे शबरी के जाति के कोई काहे मानत।केवट मल्लाह अपन दोस्त राम के गोर धो के पीयैत रहे।कि आइ के युग मे कोई दोस्त के गोर धो के पीयत।वोहु मे दोस्त में दोस्ताना होइ हय। बराबरी माने कि समानता के भाव। परंतु केवट आ राम के भाव दास आ प्रभु मालिक के भाव हय।त केवट वंशी वा कोई काहे मानत।इ सभ विरोध आइ न अतीत मेयो महात्मा बुद्ध,संत कबीर,संत रैदास, महात्मा फुले,संत पेरियार आ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर कैले रहलन।
संत कबीर आ संत रैदास त राम के मानैत रहल। परंतु संत तुलसीदास के अयोध्यावासी राम के न वरन् घटघट वासी राम के मानैत रहलन। माने कि संत कबीर आ संत रैदास निर्गुण राम के त संत तुलसीदास सगुण राम के। निर्गुण राम वर्णरहित त सगुण राम वर्णाश्रित।
वर्तमान समय मे जे असल विवाद हय वो जातीय सामाजिक विषमता के लेके है न कि धार्मिकता के लेके। भारत के संविधान जातीय विषमता पर रोक लगबैय त कोनो धर्म के माने के स्वतंत्रता देइ। भारत के लोग के भारत के संविधान मे अपन विवाद के समाधान मिलत।
स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।