हिंदुस्तान के लाल
जिसने माटी का मर्म पहचाना,
जिसने अपने कर्म को जाना।
लिखा जिसने भारत की तकदीर,
जिसने उठाया फौलादी शमशीर।
गुदड़ी के लाल प्रचंड कहलाते वो,
धन्य वो हिंदुस्तान के लाल वीर ।
पाकिस्तानी अयूब को ललकाते,
वे छोटे कद वाले थे विराट शरीर।
जो रक्षक थें, प्रचंड व्यक्तित्व के धनी
सम्मान, स्वाभिमान थे अलंकार जिनके
भारत को सशक्त कर, दिया राष्ट्र को तार ,
नश्वर काया से भले मरे हो वो लाल
पर अमर रहेंगे सदा उनके विचार।
राष्ट्रहीत के लिए, रहे वह भूखे लाल,
भूखा रहा पूरा देश उनका पूरा परिवार ।
जिनका किसानों से था लगाव,
और जवानों से भी भरपूर प्यार
जय जवान जय किसान का जयघोष से,
पूरा ब्रह्मांड दिया ललकार
जिनमें एक भाषण ने मचाया
रिपुओं के शिविर में हाहाकार।
जिसने ताशकंद में छोड़ी काया,
पर रूह आया भारत मरते मरते।
ऐसे उज्ज्वल सूर्य थें वो भारत के,
उनको नमन करते हम, हैं वंदन हम करते।
वे ना थे साधारण, ना छोटे से गुदड़ी के लाल,
वे थें एक युग में जन्मे क्रांति वीर।
शास्त्री जी ने अल्पकाल में ही
बदला विकसित भारत की तस्वीर।
@धूमिल झारखंडी ‘अमन’