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9 Dec 2024 · 1 min read

#हिंदी_ग़ज़ल

#हिंदी_ग़ज़ल
■ पर खोल रहा है वर्तमान।।
【प्रणय प्रभात】

★ मुँह खोल रहा है वर्तमान।
कुछ बोल रहा है वर्तमान।।

★ कितना खोया कितना पाया।
यह तोल रहा है वर्तमान।।

★ सुंदर अतीत की गलियों में।
फिर डोल रहा है वर्तमान।।

★ भावी को रंगने नए रंग।
कुछ घोल रहा है वर्तमान।।

★ अनमोल रहा जिनका अतीत।
अनमोल रहा है वर्तमान।।

★ दड़बों में दशकों बीत गए।
पर खोल रहा है वर्तमान।।

★ भावी का कोई मोल कहाँ?
अनमोल रहा है वर्तमान।।

★ इतिहास सरीखा है अतीत।
भूगोल रहा है वर्तमान।।

★ आड़ा आगत, टेढ़ा अतीत।
बस गोल रहा है वर्तमान।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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