प्रगतिमय सद्कोश भारत,मानव सुगति-विज्ञान का
निज रुधिर में हिंदी बसी, उर भाव देता ध्यान का|
कुछ भी कहो, हम ना सहेंगे ,बोझ अब अज्ञान का |
संस्कृति हमारी विश्व को करती सु चेतन, दीप्ति है|
प्रगतिमय सद्कोश भारत, मानव सुगति विज्ञान का|
……………………………………………………………
वर्ष 2013में जे एम डी पब्लिकेशन नई दिल्ली से प्रकाशित मेरी कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए”
ISBN :978-93-82340-13-3 का मुक्तक
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
27-04-2017