हिंदी ग़ज़ल
जिंदगी भर यूँ नहीं फरियाद रहने चाहिए
मानवों के भी नए अपवाद रहने चाहिए। १।
जो रहे हों अपरिमित शिकवे गिले सब आपसी,
वे पुराने अब नहीं अवसाद रहने चाहिए ।२।
गगनचुंबी हो खड़ा कंक्रीट का अपना महल,
हृदय में तिनके भी पर इक-आध रहने चाहिए।३।
साथ दुर्दिन में निभाए शत्रु का उपकार भी,
द्वेष सारे भूल करके याद रहने चाहिए।४।
शक्य हो कैसे भला हर भाव को भाषा मिले,
स्पष्ट कुछ संकेत के अनुवाद रहने चाहिए ।५।
मैं रहूँ जिस भी तरह गमगीन बनकर ही भले
तुम मेरे आँसू के दर आबाद रहने चाहिए | ६ |
हो भले ही मंद पर तेरे हृदय में भी कहीं।
बंधु मेरे नाम के अनुनाद रहने चाहिए । ७।
©सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’