*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
हिंदी मेरे देश की जुबान है
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हिंदी मेरे देश की जुबान है,
हिंदी भाषा बहुत महान है।
सूने मन में मिठास घोलती,
रसभरी खिली महकान हैँ।
विदेशों मर भी नहीं डोलती,
खजाने से भरी हुई खान हैँ।
दिल की बातें सदा बोलती,
हिंदी हिंदुस्तान की जान है।
विश्व-भर में है मुख घोलती,
हिंददेश की बनी पहचान है।
एकता मे अनेकता है जड़ी,
खुशी से भरी हुई दुकान है।
साल मे एक बार हैँ पूजते,
जैसे कोई आई मेहमान है।
अंग्रेजी कर से रही झूझती,
कठिन दौर में मेजबान है।
पीढ़ी की पकड़ मे रही नहीं,
गैर हाथों में गई कमान है।
हिंदी कबीर भारतेन्दु सनी,
मीरा,रहीम से रसखान है।
अपनों के जाल में फंस रही,
तन बदन चोट के निशान है।
मनसीरत हिंदी में रंगा हुआ,
ये बंदा हिंदी का अरकान है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)