हिंदी दोहे-पुरवाई
हिंदी दिवस- #पुरवाई
पहली बारिश से चले ,पुरवाई मनुहार |
शीतलता आभाष हो ,#राना लगे बहार ||
बुझे धरा की प्यास भी , बूँदें गिरतीं भूम |
पुरवाई #राना चले , हर पत्तों को चूम ||
बादल उड़ते वेग से ,पुरवाई को थाम |
#राना तब बरसात में ,मेघ लगे सब श्याम ||
पुरवाई #राना करे,मौसम में बदलाव |
लगता सभी सुहावना,भरें ग्रीष्म के घाव ||
झुलसे #राना ताप से,रहने का परिवेश |
पुरवाई आगाज तब,हरता तन का क्लेश ||
एक हास्य दोहा –
धना कहे #राना सुनो,पुरवाई संदेश |
नई साड़ियाँ लाइये,बदलें हम परिवेश ||
🤗*** दिनांक-4-6-2024
✍️ – #राजीव_नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
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