हिंदी दिवस
हिंदी की अजब कहानी
कितने संघर्षों के बाद
इसने हासिल किया जो मुकाम
इसने लहराया जो परचम
हासिल की जो आजादी ।
आजादी के बाद मिला इसको विस्तार
इसको नया इतिहास रचना था
भारत की मातृभूमि पर
इसको आगे बढ़ना था
जन-जन की भाषा बनकर
घर घर इसको जाना था।
लेकिन आज सब कुछ दशा बदल गई है
फिर से इसके आगे अंग्रेजी
अपना परचम लहरा रही है ।
हम हिंदी दिवस, हिंदी दिवस
कह कर खुद को भ्रम में रखे हुए हैं
अपने बच्चों को
इंग्लिश मीडियम में पढ़ाकर
हिंदी का अस्तित्व खो रहे हैं।
दिशा बदल गई दशा बदलनी होगी
बच्चों को भी हिंदी की सीख सिखानी होगी
हिंदी दिवस मात्र दिवस न रहकर
बच्चों के मन मस्तिष्क पर
छाप हिंदी की छोड़नी होगी।
हरमिंन्दर कौर अमरोहा (यूपी)