हिंदी-दिवस
अपनी हिंदी है संतो का उदगान
हिंदी है साहित्य का उर गान
जगमगाती ज्योति सी चमके हिंदी
हर एक कलम की बने पहचान
हिंद हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक
हम शत-शत करे हिंदी को प्रणाम
जुडे़ रहेगे अपनी हिंदी से
जब रहेगें तन मन में प्राण
हिंदीअनेकता एकता की पहचान
भारत मां के लिए है वरदान
भावनाएं जगाकर एहसाह भाव जोड़
कर वो जो दिलों का है सरस गान
विरासत में मिला ये हिंदी का भंडार
वेद पुराणों से पाया है अनुपम ज्ञान
यह देश है वीर सपूतों का
धरती माता के है वीरो की मान
आजाद,शेखर शहीदों से झलकी सीना तान
झांसी,पदधमिनि पन्नाधाय की वीर गाथा गान
भारत है पावन भूमि इस भूमि का है अभिमान
मस्त रहा पश्चिम भाषामे जो नादान इंसान
उठो!जगाओं मूढ मन मानसअपना स्वाभिमान
अपनी मातृभाषा का मत करो अपमान
क्यों बने भारत मानस अंग्रेजो के गुलाम
अपनी भाषा मां समान दिलाओं तुम सम्मान
– सीमा गुप्ता,अलवर,राजस्थान