हिंदी दिवस
* * * हिन्दी दिवस * * *
हिन्द देश के हैं वासी
हिन्दी मातृ भाषा है ।
जनमन को सहज बनाये
भाषा की परिभाषा है ।।
देवनागरी लिपि हमारी
स्वर- व्यंजन पहचान है ।
‘अ’ से अल्लाह ‘क ‘से कृष्णा
कोई नहीं अनजान है ।।
न कोई छोटा न कोई बड़ा
सभी अक्षर समान हैं ।
ऊँच-नीच का भेद मिटाती
हिन्दी की पहचान है ।।
हँसना रोना सुख दुख सहना
भावों का यह मरहम भी ।
जीवन का हर साज सजाती
सप्त- सुरों की सरगम भी।।
एक सुहागिन के माथे की
प्यारी सी तुम बिन्दी हो ।
यश उन्नत की लिए लालिमा
भारत की बेटी हिन्दी हो ।।
कोई करे अपमान तुम्हारा
सजा का होवे कड़ा विधान।
राजनीति से ऊपर उठकर
प्रतिदिन हो हिन्दी का मान।।
संविधान से स्वीकारोक्ति
हिन्दी राजकाज की भाषा।
पर एक पहलू दुख देता है
बनी नहीं यह राष्ट्र की भाषा।।
जिस भाषा ने दी गुलामी
उसके कवच का कच्चा भान।
सहज प्रभावी अन्तर्मन से
हिन्दी को करें अब गतिमान।।
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स्वरचित : डाॅ.रेखा सक्सेना