हिंदी दिवस -14 सितंबर
हिंदी दिवस-14 सितंबर
हिंदी दिवस हम केवल 14 सितंबर को क्यों मानते हैं?
अगर हिन्दू हैं हम तो हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित क्यों नहीं कर पाते हैं?
क्या हिन्दू हम सिर्फ नाम के हैं?
कोई बताए हम किस काम के हैं ?
जो न दे पाए हिंदी को राष्ट्र स्तर पर सम्मान
तो कहिए कैसे बना रहेगा हमारा भारत देश महान?
अंग्रेजी का गुणगान करते हैं वे लोग जिनके लिए हिंदुस्तान संसार नहीं है
देशद्रोही हैं वे लोग जिन्हें हिंदी से प्यार नहीं।
भाषाओं की रानी बनी हिंदी एक मात्र सहारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
गीता का सार,वेद का व्यवहार है हिंदी
पीरों की वाणी,फकीरों की कहानी है हिंदी
अमीर की आगाज,विद्यापति की आवाज है हिंदी
मीरा की गाथा,गोपियों की व्यथा है हिंदी।
जीवन जीने की आश,मानव का विश्वास है हिंदी
कृष्ण की भक्ति,राम की शक्ति है हिंदी।
कबीर का ज्ञान,तुलसी की रामायण है हिंदी
जायसी का वर्णन,सुर का समर्पण है हिंदी।
योद्धाओं का हुंकार,पद्मावत का जोहर है हिंदी
कुर्बानी की जालियाँवालबाग भगत सिंह का इंकलाब है हिंदी।
प्रकृति का प्रसाद,निराला का संखनाद है हिंदी
महादेवी का गीत,पंत का संगीत है हिंदी।
रस, छंद और अलंकार हिंदी का आधार है।
हिंदी का हो गुण गान पूरे भारत वर्ष को स्वीकार है।
पूर्व से पश्चिम,उत्तर से दक्षिण कई भाषाओं का अंबार है।
हो रही सम्पूर्ण भारत मे हिंदी की जयकार है।
हिंदी से हमारा जन्मों जन्म का नाता है।
हिंदी ही तो हमारी भाग्य विधाता है।
हिंदी को ही पूज कर
भारतेंदु,दिनकर और प्रेमचंद महान हुए।
हिंदी को ही पूजने वाले कुमार जी धनवान हुए।
साहित्यकारों के संघर्ष को
क्या हम मान दे पाएँगे?
भारतीय अंग्रेज से हम हिंदी को
कब तक बचा पाएँगे?
जो खा रहे हिंदी की कमाई
करते वो हिंदी की निंदा हैं।
यह देख भारत माँ भी
देखो कितनी शर्मिंदा हैं।
हिंदी लिखते गीत,गजल
फ़िल्म तुम पाते सम्मान हो,
जब मंच पर तुम जाते
करते अंग्रेजी का गुणगान हो।
इतनी ही अंग्रेजी प्यारी है तुम्हें
तो तुम हिंदी में लिखना छोड़ दो।
कभी – कभी क्यों हमेशा के लिए
तुम हिंदी से नाता तोड़ दो।
जिस भाषा ने हमारे देश को किया गुलाम है,
हमारी माँ-बहन को सरेआम अंग्रेजों ने किया बदनाम है।
भाषाओं की रानी बनी हिंदी एक मात्र सहारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
जय साहित्य
राज वीर शर्मा-हिंदी विकास मंच