हिंदी दिवस
विधा:- मुक्तक
अंग्रेजी मोहित करे, घर आंगन बाजार।
हिंदी दिवस मना लिए, कर आए उपकार।
हिंदी से जिसको नहीं, हुआ अभी तक प्रेम-
हिंदुस्तानी है नहीं, लगता है गद्दार।
हुई उपेक्षित आज क्यों, हिंदी हिंदुस्तान में।
हावी है अंग्रेजियत, बोल रहे हम शान में।
चिंतित तो सब लोग हैं, सिर्फ दिखावे के लिए-
हिंदी दिवस मना लिए, हिंदी के सम्मान में।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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