हिंदी दिवस बकैती !
किसी ने
बढ़िया पोस्टमार्टम
किया है।
गुरुदेव रवींद्रनाथ
‘ठाकुर’ से
‘टैगोर’ कैसे हो गए ?
यह भारतीय संस्कृति पर
‘अंग्रेजियत’ तो नहीं !
बावजूद हम कहते-
जय हिंदी दिवस !
हम भारतीय तो उसे
रबीन्द्रनाथ टैगोर नहीं,
रवीन्द्रनाथ ठाकुर
तो कह सकते हैं !