हिंदी दिवस।
पूरे ज़ोर-शोर से आज हम,
हिंदी दिवस मनाएंगे,
कल से लेकिन फिर वही,
हेलो,हाय और बाय में उलझ जाएंगे,
गौरवान्वित होंगे हिंदी पर मगर,
फिर अंग्रेज़ी पर ही इतराएंगे,
जैसे इस दुनिया में हर,
भाषा का अपना सम्मान है,
वैसे ही इस विश्व पटल पर,
हिंदी की अलग पहचान है,
न जाने है विडंबना ये कैसी,
कभी ना हम समझ पाएंगे,
बोलेंगे जब अंग्रेज़ी धाराप्रवाह,
तभी पढ़े-लिखे कहलाएंगे।
कवि- अम्बर श्रीवास्तव।