*हिंदी तो मेरे मन में है*
हिंदी तो मेरे मन में है
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हिंदी तो मेरे मन में है।
हिंदी तो मेरे तन में हैं।
हिंदी में जीता रहता हूँ।
ये हिंदी रंग-ढंग में है।
अरबी-फ़ारसी-अंग्रेजी,
पर हिंदी हर कण में है।
उर्दू के कितने हैँ योद्धा,
हिंदी हिंद के जन में है।
मनसीरत बदले मौसम,
हिंदीं हरदम क्षण में है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)