हिंदी अपनाओ
हिंदी दिवस पर वर्ष १९८६ , १४_९_८६ को लिखी अपनी एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ.
अपनी भाषा अपनाने में,
अब तो लज्जा मत दिखलाओ
हिन्दुस्तानी हो, हिंदी को
पूर्ण मान तो दिलवाओ
अंग्रेजों के शासन से तो
मुक्त हुए वर्षों पहले
अब वाणी को भी तो
अंग्रेजी की जकड़न से छुड़वाओ
अपनी भाषा में बात सदा
आसानी से कह दी जाती
आओ आगे बढ़कर
यह बात सभी को समझाओ
कृष्ण, नहीं भारत में अब
अंग्रेजी का नाम रहे
संकल्प करो और हिंदी का
ध्वज जग भर में फहराओ.
“हिंदी हमारी मातृभाषा है मात्र भाषा नहीं”..