हिंदी के अधिकार
हिन्दी की स्थिति उस अभागी नारी जैसी है जो अपने ही घर में बैंगानी है क्योंकि किसी परायी विदेशी नारी (इंग्लिश ) ने उसके अपने घर में डेरा जमा रखा है। इस विदेशी नारी को कौन बाहर का रास्ता दिखायेगा ? और कौन हिन्दी को उसका अधिकार और सम्मानीय उच्च स्थान दिलवाएगा ? कौन ?