#हास्य_व्यंग्य-
#हास्य_व्यंग्य-
■ आज का उपदेशामृत।
🌀 फ़ेसबुकी फ़जीता…! 🌀
[प्रणय प्रभात]
हे तात…!!
यह फेसबुक एक आभासी लोक है। जिसमें तुम्हारे जैसे भडासी, बकवासी से लेकर साधु-सन्यासी तक करोड़ों की संख्या में हैं। जो ज़ुकरबर्गवा के अवैतनिक मिरासी, खल्लासी व चपरासी की तरह दिन-रात अपना काम कर रहे हैं। थोड़ा सा नाम करने के लिए। अंतर्जाल पर टिकी इस दुनिया में भांति-भांति के जीव हैं। जिनमें एक प्रजाति तुम जैसे फुरसतियों की है। आज का यह महाज्ञान तुम्हारे व तुम्हारे जैसों के लिए ही है। अतः कान नहीं ध्यान लेकर ईमान से सुनो।
★ हे वत्स! तुम अपनी पिछली पोस्ट की बेकद्री और दुर्गति का लेशमात्र पश्चाताप न करो और यह मान कर धैर्य धारण करो कि यहाँ सब साक्षर हैं, शिक्षित नहीं। मतलब, लगे रहो कोल्हू के बैल की भांति। तेल निकले या न निकले।
★ हे भ्रात! तुम अपनी अगली पोस्ट के हश्र की भी तनिक चिंता न करो| मान लो कि तुम्हारी पकाई खिचड़ी अंततः तुम्हें ही खानी और पचानी है। वो भी एकाध दिन नहीं, की-पेड पर उंगली रूपी बसंती के नाचने तक।
★ हे जंतु! तुम श्रम और समय नष्ट कर क्लेश मोल लेने के बजाय केवल कॉपी-पेस्ट कर के ही काम चलाओ और हर उस पोस्ट को अपने बापू यानि अब्बा हुजूत का माल समझो, जिसके नीचे लिखने वाले का नाम नहीं है। बेनामी जायदाद की तरह पाओ और छा जाओ।
★ हे जीव! स्मरण रखो कि चोट्टाई का यह (सी प्लस पी इजीकलटू व्ही वाला) खेल जब तुम नहीं थे, तब भी था और आगे भी निठल्लों की अनंत-अपार कृपा से धड़ल्ले के साथ चलता रहेगा। मार्क और मस्क के धंधे की तरह।
★ हे जीवधारी! भूलना मत कि तुम जब नहीं रहोगे, तब भी तुम्हारी पोस्ट का अधिग्रहण चलता रहेगा। कोई कमी नहीं यहां अतिक्रमण करने वालों की। कॉपी-राइट का कायदा-क़ानून यहां कतई लागू नहीं होता।
★ हे धुरंधर! पुरानी करतूतों के साथ नए साल के चक्रव्यूह में मुंह ऊंचा कर घुसने से पहले गाँठ बाँध लो कि आज जो पोस्ट तुम्हारी है, वो कल किसी और की होगी। जैसे “बिन फेरे हम तेरे” की तर्ज पर तुम्हारी हुई थी। बिना कुछ किए धरे। चुटकी बजाते ही।
★ हे स्वयंभू! आभासी संसार में व्यर्थ में अपना समय खोटा करने से पूर्व समझ लो कि जिन पर निर्भर हो, उनके पास समझ और समय का टोटा है। लिहाजा बिना शर्माए, बिना घबराए फ़ारसी पढ़ते और तेल बेचते रहो। वो भी मूंगफली नहीं मिट्टी का।
★ हे गदाधर! तुम इस काल्पनिक दुनिया में चाहे जिसे अपना समझ कर अपनी धुन में मग्न मत रहो| यही तुम्हारे समस्त दु:खों का कारण है। यहां न कोई चाचा, न कोई ताऊ। लफ़्फ़ाज़ी करते रहो चुपचाप। वो भी बिना चूं-चपड़ किए।
★ हे निखट्टू! °बहुत बढ़िया, लाजवाब, वैरी नाइस, यू आर राइट, करेक्ट और वेल-सेड जैसे शब्दों की हवा से गुब्बारे की तरह फूलने और इतराने से बचो। याद रहे कि सारे जुमले यहां रेडीमेड हैं। फ़ोकट की इमोजी की तरह। इनका मज़ा लेते-देते रहो। मुफ़्त के सरकारी राशन की भांति।
★ हे बजरबट्टू! निष्काम व निरापद भाव से पोस्ट किए जाओ। फिर देखो तुम इस फेसबुक रूपी भवसागर में रहते हुए भी समस्त कुप्रभावों से दूर रहोगे और स्वर्ग का आनंद ले सकोगे। वो भी परमलोक की ओर कूच किए बिना।
★हे मूढमते! दिन-रात समूह और प्रायोजित पेज़ रूपी भंडारों का महाप्रसाद बाँटने वालों के चक्कर में घनचक्कर मत बनो। उन्हें “कालनेमि” और “मारीच” सा मायावी समझो। ध्यान रहे कि ऐसों को इस तरह के आमंत्रण रूपी पीले चावल बाँटने से आगे कुछ नहीं आता। ये फ्री सर्विस देने वाले प्रमोटर हैं। फ्री-टू-एयर चैनल टाइप।
हे वत्स! भेजा-भड़क वाली इस रणभूमि पर दिए जा रहे उपदेश का सार बस इतना सा है कि आवेग और उद्वेग से मुक्त रहो। इस दिखावे की दुनिया मे जन्म लिया है तो भरपूर आनंद के साथ जिओ। भेड़ों के झुंड में भेड़ बन कर रहो और “कुछ आता, न जाता, जगत से नाता” वाले महामंत्र को आत्मसात करो। रिचार्ज के बाद मोबाइल में आने वाला डाटा व्यर्थ न जाए। इसे लेकर सचेत रहो। कल्याणमस्तु।।*
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-सम्पादक-
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