हास्य -व्यंग्य कविता -समाज को जागरूक रखेंगे
समाज को जागरूक रखेंगे
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मैंने एक दिन चाहा खुली सड़क पर पीक थूकना ,
पीक थूकने से पहले भूल गया था दुकानदार से पूछना ।
इससे पहले कि मैं पीक थूकता उसने मुझे टोका ,
खुली सड़क पर पीक थूकने से मुझे रोका ।
उसने कहा कि यहाँ पीक थूकना मना है ,
बैसे तो इस सड़क का हर कोना पीक से सना है ।
यहाँ से कुछ दूरी पर एक पीकदान बना है ,
वहीं पीकदान में जाकर पीक थूकना है ।
मैंने कहा भाई मेरी पीक अटकी है गले में ,
बाद में बात करूँगा पीक थूकलूँ पहले मैं ।
उसने कहा साइड में चुपके से पीक थूक लीजिए ,
चुपके से पीक थूक लेनी चाहिए ये गुरु मन्त्र सीख लीजिए ।
तरह – तरह के लोग तरह – तरह की पीक थूकते हैं ,
कुछ लम्बी कुछ छिटकी कुछ हल्की कुछ गाडी पीक थूकते हैं ।
कुछ तम्बाकू की कुछ गुटके की तो कुछ पान की
कुछ आदत की तो कुछ प्रतीक बना लेते हैं शान की ।
पीक थूकना भी एक बहुत बड़ी कला है ,
पहले पान का था अब गुटखे का प्रचलन हो चला है ।
खूब खाओ गुटखा यदि किसी का हो जाये भला है ।
लेकिन गुटखा चबाना जिन्दगी के लिए एक बला है
तम्बाकू चबाना सिगरेट पीना कैंसर को देता है न्यौता ,
नशीले पदार्थों से सबको हो जाता है धोखा ।
नशा करना जीवन के लिए होता है खतरा ,
कभी नशा न करना सबको रहा हूँ बतरा ।
पान गुटखे तम्बाकू से हो जाता है कैंसर मुख का
जिसके ये हो जाता है उस पर पहाड़ टूट जाता है दुख का ।
मेरी है नशीहत है कबहुं न खइयो तम्बाकू गुटखा पान ,
सिगरेट आदि नशीले पदार्थों से गवानी पड़गी जान ।
नशे से सुख स्वास्थ्य और धन की होती है हानि ,
कभी नशा न करना मेरा कहना लो मानि ।
माता – पिता बीबी बच्चों को स्वस्थ रखने की खाओ कसम ,
समाज को स्वस्थ रखेंगे और स्वस्थ रहेंगे हम ।
यह जानकर हमने थूकी पीक खाई कसम स्वस्थ रहेंगे ,
खुद रहेंगे जागरूक समाज को जागरूक रखेंगे ।
:-डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज -: