हास्य गीत
#सामयिक_रचना
■ बजाओ ताली मेरे यार।।
【प्रणय प्रभात】
नाम-निशान नहीं मुद्दों का, जुमलों की भरमार।
बजाओ ताली मेरे यार।
बजाओ ताली मेरे यार।।
● झूठे वादे थोथे दावे और खोखले नारे,
कई विदूषक बने प्रदूषक जनहित के हत्यारे।
अपने मुंह से करवाते हैं अपनी जय-जयकार।
बजाओ ताली मेरे यार।
बजाओ ताली मेरे यार।
● चाटुकार गीदड़ श्वानों को शेर-बाघ बतलाते,
रोज़ छोड़ते नए शगूफे नए झूठ फैलाते।
चाय-पकोड़ी के चक्कर में करते हैं बेगार।
बजाओ ताली मेरे यार।
बजाओ ताली मेरे यार।।
● गीदड़-भभकी बंदर-घुड़की तालें ठोक रहे हैं,
लगता है इंसान वेश में कुत्ते भौंक रहे हैं।
चूहे चीख रहा है, बिल्ली हारेगी इस बार।
बजाओ ताली मेरे यार।
बजाओ ताली मेरे यार।।
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