हास्य कुंडलिया
उनका आया फोन जब, पत्नी बैठीं पास,
कविता के मीठे वचन, करें हास परिहास।
करें हास परिहास , तभी घरवाली बोली,
यह कविता है कौन, बड़ी लगती है भोली।
हुये प्रेम लाचार, देख दाढ़ी में तिनका,
पड़ी मुसीबत गले, फोन आया है उनका।।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम
लखनऊ