हास्य:-आज समस्या कब्ज़ बड़ी थी.
वो सिसका रही थी,
वो कंपकपा रही थी,
वो पैरों पे बिठा,
इंतज़ार कर रही थी,
.
पर मालूम न था,
उस बच्चे को,
बाहर सर्दी बड़ी थी,
.
पिछले तीन रोज़ से,
अखत कब्ज़ पड़ी थी,
सर्दी से बड़ी समस्या आज,
कब्ज़ बनी थी,
.
महेंद्र
वो सिसका रही थी,
वो कंपकपा रही थी,
वो पैरों पे बिठा,
इंतज़ार कर रही थी,
.
पर मालूम न था,
उस बच्चे को,
बाहर सर्दी बड़ी थी,
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पिछले तीन रोज़ से,
अखत कब्ज़ पड़ी थी,
सर्दी से बड़ी समस्या आज,
कब्ज़ बनी थी,
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महेंद्र