हासिल करने की ललक होनी चाहिए
यह कहानी एक गरीब घर के लड़के के मेहनत संघर्ष, लगन,ईमानदारी और उसके आत्मविश्वास का है।यह कहानी रमेश (काल्पनीक नाम) का है।एक छोटे से गांव मे वह अपने माता-पिता और एक भाई के साथ रहता था।माता-पिता दूसरे के खेत पर काम करते और भाई सब्जी बेचने का काम करता था।रमेश गांव के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था और स्कूल की छुट्टी होते ही वह भाई के साथ गांव के हाट में सब्जी बेचने चला जाता था। रमेश को पढने मे मन नही लगता था इसका कारण था की उसे पढ़ाई को समझाने वाला भी कोई नही था।इस बार रमेश दशमी का परीक्षा दे रहा था।परीक्षा उसकी अच्छी नही गई और वह फेल हो गया। उसे दुख तो हुआ पर वह जान रहा था की पढ़ाई उसके बस की बात नही है।इसलिए एक दिन वह अपने परिवार वालों से कहा मै दिल्ली कमाने जाना चाहता हूँ।यह सुनकर पहले तो परिवार वालों ने मना किया और फिर रमेश के जिद्द के आगे हामी भर दी।रमेश गांव से दिल्ली के लिए दो कपड़े और थोड़े पैसो को लेकर दिल्ली के लिए चल दिया।जब वह दिल्ली पहुंचा तो दिल्ली शहर को देखकर हक्का -बक्का रह गया।यहाँ गांव के रहने वाले एक मजदूर जो उसके भाई का दोस्त था उससे मिला।उसके भाई के दोस्त ने उसे एक कपड़े के कम्पनी मे मजदूरी के काम मे लगा दिया।रमेश अपना काम बड़ी ही लगन मेहनत और ईमानदारी से करने लगा। धीरे-धीरे वह अपने काम मे निपुण होते जा रहा था। उस कम्पनी के मालिक की नजर उस बनी रहती थी।वह उसे ईमानदारी के साथ करते हुए अक्सर देखा करता था।एक दिन उसने रमेश को अपने पास बुलाया और एक थैला देते हुए कहा यह थैला लेकर तुम मेरे घर पर रख आओ।रमेश वह थैला लेकर सेठ के घर पर जाकर दे आया।उस थैले मे लाखों रूपए थे पर रमेश ने उसको खोला तक नही।इस तरह करके सेठ कई बार उसके ईमानदारी को परखा और फिर वह रमेश को रूपए के लेन-देन करने लिए अपने पास रखने लगा।अब तो मानों रमेश की किस्मत ही चमक गया।अब वह सेठ का बहुत ही विश्वासी आदमी बन गया था।वह एक शहर से दूसरे शहर सेठ के व्यपार के सिलसिले मे जाने लगा।सेठ खुश था ।उसने रमेश का प्रमाण पत्र दिल्ली का बनवा दिया। उस प्रमाण पत्र का पता दिल्ली का वह झूगी बस्ती था जहां रमेश गांव से जब शहर आया था तो उस किराए के झोपड़ी मे रहता था। आज भी रमेश उस झोपड़ी मे ही रहता था और ज्यादा से ज्यादा रूपए वह गांव अपने परिवार वालों के पास भेज देता था।गांव मे माता-पिता उन रूपए से जमीन खरीदते जा रहे थे। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।एक दिन जब रमेश जब काम पर गया हुआ था की झूगी बस्ती मे आग लग गई। ज्यादातर झोपड़ी जल गई। सरकार ने उन लोगो को बसाने के लिए एक नई जमीन का आवंटन किया चूँकि रमेश का नाम वहां के प्रमाणपत्र मे था ।इसलिए किस्मत से उस आवंटन मे इसका भी नाम आ गया और इसे चालीस गज जमीन सरकार के तरफ से मुफ्त मे मिल गई। एक बात यहा सिद्ध होते हुए दिखा की अगर किस्मत देने को आती तो बहुत कुछ दे जाती है।उधर जब कम्पनी के मालिक को जब आग लगने की बात पता चली थी तो उसने कम्पनी के तरफ से एक छोटा सा मकान रमेश को रहने के लिए दे दिया था। अब शादी के लिए गांव मे कई रिश्ते आने लगे थे। इस बार जब वह गांव गया तो माता-पिता ने शादी के लिए एक लड़की देख रखी थी।रमेश को यह रिश्ता पंसद था इसलिए जल्द ही शादी हो गई। रमेश अपनी पत्नी के साथ फिर शहर अपने काम पर आ गया।इस बार उसने दो काम किए एक तो सरकारी जमीन पर छोटे-छोटे कमरा बनाकर किराए पर लगा दिया।जिससे रमेश को एक अच्छी आय घर बैठे आने लगी और दूसरी एक कपड़े का दुकान अपने घर मे ही खोल लिया।इस दुकान को उसकी पत्नी चलाती थी कभी कभी समय मिल जाता तो वह खुद भी दुकान पर बैठ जाता था। कपड़े की चिन्ता उसे नही थी क्योकि वह अपने मालिक की कम्पनी से कपड़ा लाताऔर मुनाफा रखकर जो कम्पनी का बनता वह दे आता था। उधर सेठ अब अपनी कम्पनी कई शहरों मे खोल चूंका था इसलिए वह यहां का सारा काम रमेश पर ही छोड़ दिया था और रमेश को कम्पनी से उसका वेतन भी काफी बढा दिया था। आज रमेश सेठ का खास आदमी है।जहां भी सेठ काम के लिए जाता है वह उसके साथ जाता है। उसके दो बच्चे है दोनों को उसने ईजीनियरिंग पढाया है। दोनों अच्छे जगह पर काम कर रहे है। पत्नी आज भी दुकान देखती पर अब उसके पास अलग-अलग चीजों को कई बड़ी बड़ी दुकाने हो गई है।आज रमेश का परिवार एक नामचीन पैसे वाला परिवार है। सब कुछ बदल गया है। कुछ नही बदला है तो वह है रमेश का भोलापन।वह आज भी जब गांव जाता है तो सबसे मिलता है।गांव मे उसने काफी जमीन ले रखा है जो उसका भाई देखता है।उसके भाई का एक बेटा है जिसको वह अपने बच्चे की तरह उसे भी ईजीनियरिंग पढाया और आज वह भी एक अच्छे कम्पनी मे काम कर रहा है। आज गांव वाले यह कहते हुए नही थकते है कि एक रमेश की मेहनत ने उसके पुरे घर को फर्श से अर्श तक उठा दिया।यह सब रमेश की मेहनत लगन और ईमानदारी का नतीजा है की आज बिना डीग्री के भी रमेश ने एक अच्छा मुकाम हासिल किया।रमेश से जब कोई इसके बारे मे पूछता है तो रमेश सिर्फ इतना ही कहता है कुछ हासिल करने की ललक होनी चाहिए।
~अनामिका