हाल
उसने फिर मेरा हाल पूछा,
यू ही आते जाते,
कैसे हो जी अब आप कम
नज़र हो आते।
मुस्कुरा है बोला हमने जी
बहुत अच्छे हैं हम,
वक़्त बीत रहा है कसम से
हँसते मुस्कुराते।
क्या पता उसको की वाकई
में कैसे हैं हम,
दिल की बात सच सच कहते
हुए हैं जरा घबराते।
अगर मैं कह दूं कि ठीक नहीं
हूँ मैं आजकल,
तो हो सकता है जनाब देख
मुझे राह ही बदल जाते।
दुखी भी हैं तो खुश ही नज़र
आना पड़ता है,
देखा है हमने लोगों को भरी
आंखों से मुस्कुराते।
हर रोज कोई न कोई पूछ ही
लेता है हालचाल,
ओर हम हैं कि बस उनको
झूठ ही हैं बताते।
क्यों देख के मुझे मेरे हालात
का अंदाज़ा नहीं लगता,
कैसे होंगे वो लोग जो सच में
चेहरों को हैं पढ़ पाते।
कितनी शिद्दत से लोग पूछते
हैं हम से हमारे बारे में,
ओर जो मैं बोल दूं दर्द अपना
तो हैं तमाशे बनाते।
हाल कैसा होता है और कैसा
दिखाना पड़ता है,
इस जमाने मे दोस्तों झूठे सच
ही हैं बताए जाते।
बुरा भी लगे के पास से गुज़रे
कोई हाल ना पूछे,
ठीक है ठीक है कह कर हम
खुश हो जाते।
सीमा शर्मा