हाल-ए-दिल
क्या बताऊँ तुमको,अपना हाल-ए-दिल,
दूर से न पूछ,कभी तो पास आके मिल।
आईने की तरह साफ है मेरा ये फसाना,
पढ़ना शौक से इस दिल का अफ़साना।।
पन्ने-पन्ने में इश्क का इक मंजर मिलेगा,
हर कतार में चुभता हुआ खंजर मिलेगा।
चोट खाये हुए दिल,तन भी सिहरे मिलेंगे,
दिया जो जख्म अभीतक वो गहरे मिलेंगे।।
मुद्दत के बाद भी आँखों में इक नमी होगी,
होंगे सभी हमारे अपने,पर तेरी कमी होगी।
नम आँखों को अब भी तेरा इंतजार होगा,
वही एहसास,आज भी उतना ही प्यार होगा।।
झरोखों से देखोगे तो अनगिनत यादें होंगी,
खुदा से गई तेरी सलामती की,फरियादें होंगी।
दिल की बगिया में,महकते हुए फूल मिलेंगे,
हरी-भरी घास होंगी,कहीं उड़ती धूल मिलेंगे।।
सात सुरों के सरगम से,सजे संगीत मिलेंगे,
प्रेम की बगिया में मेरे,प्रेम के ही गीत मिलेंगे।
आके देख एकबार,कहीं बीत न जाए ये रैना,
वक़्त निकलने के बाद न छलक जाये तेरे नैना।।
आके देख और हाल-ए-दिल का इकरार कर,
जो आ जाए प्यार तो जी भरके मुझे प्यार कर।।
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
✍निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597