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8 Jun 2024 · 1 min read

हाल- ए- दिल

(वज़्न–2122-1212-22/112)
ग़ज़ल
हाल-ए-दिल मैंने जब सुनाया है।
तूने बस मज़हका उड़ाया है।

हम तो ख़ुद चोट खाये बैठे हैं,
तेरा दिल हमने कब दुखाया है।

जिसकी ता’बीर ही नहीं कोई,
ख़्वाब आंखों ने वो दिखाया है।

कोई ख़्वाहिश नहीं है खुशियों की,
मैंने ग़म को गले लगाया है।

ये हक़ीक़त है ज़िन्दगानी की,
साथ खुशियों के ग़म का साया है।

हम पे एहसान ज़िन्दगी न जता,
क़र्ज़ हर सांस का चुकाया है।

हर्फ़ तुझ पे न कोई आ जाए,
नाम लिख कर तेरा मिटाया है।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
3 Likes · 195 Views
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