हालात
मैंने कक्षा 4 के बच्चों की उपस्थिति दर्ज करते हुए पाया कि नंदिनी आज स्कूल नहीं आयी है।
मैंने स्कूल न आने का कारण उसकी छोटी बहन चांदनी से पूछा। उसने बताया कि वह अपनी नवजात (1माह) बहन की देखभाल कर रही है ।
मैंने कुछ देर बाद पूछा कि तुम्हारी मां कि तबियत ठीक नहीं है क्या?
दरअसल में उसकी मां का सिजेरियन से बच्ची हुई थी तो मुझे लगा कि वो आराम कर रहीं हैं।
लेकिन उसने बताया कि वह मनरेगा में काम करने गईं हैं इतना सुनते ही मेरा मन पीड़ा से भर गया मैं सोचने पर मजबूर हो गई ।
आज से ठीक 4 साल पहले मेरी भी बिटिया सिजेरियन से हुई बड़े अस्पताल में । मेरी मां और पति मेरे देखभाल में लगे रहे। अस्पताल से छुट्टी मिलने
के बाद मेरी मां ने मुझे ससुराल सवा साल तक न आने दिया
सब मुझे सहारा देकर उठाते , बैठाते । मां फल,सूखे मेवे ,खाना ,दवाई समय से देती ,
पापा कहां- कहां से देशी मुर्ग़ी के अंडे खोज कर लाते । भाई मेरे इर्द-गिर्द रहते । मां रातों को जागकर मेरी बेटी को देखती दिन में लंगोट, बिस्तर सिलती और मैं सोती रहती। मेरे पति मुझे देखने दिन में कई बार आते।
ये सब सोचते हुए मैं कई दिन तक
दुःखी रही और खुदा से दुआ करती रही कि
तुने बनाये हैं हालात कैसे-कैसे,
आदमी रखते जज़्बात कैसे-कैसे,
जीवन के अंतिम पड़ाव में सोचा,
काट लिया हमने रात कैसे- कैसे।
नूर फातिमा खातून” नूरी” (शिक्षिका)
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश