“हालातों का धोखा है”
अब वो खुशबु भी नहीं आती तेरी गलियों से,
जो तेरे आने से हवा में आती थी।
अब तो केवल बेजान सा हवा का झोंका है।
क्या हुआ है तेरे शहर को,
अब वो अपनापन महसूस नहीं होता है।
तुम बदल गए हो, या हालातों का धोखा है।
अब वो खुशबु भी नहीं आती तेरी गलियों से,
जो तेरे आने से हवा में आती थी।
अब तो केवल बेजान सा हवा का झोंका है।
क्या हुआ है तेरे शहर को,
अब वो अपनापन महसूस नहीं होता है।
तुम बदल गए हो, या हालातों का धोखा है।