हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
मार्ग कितना भी कठिन हो,
हार मैं मानू नहीं,
भारी भरकम भीड़ में भी,
हार मैं मानू नही।।
नित नई उम्मीदों के साथ,
बढ़ती जा रही निज पथ पर मैं,
चाहे कितना तूफा आए ,
हार मैं मानू नहीं।।
पावों में कंकड़ पत्थर चुभेंगे,
पवन भी विपरीत हो बहेंगे,
फिर भी मुझे बढ़ना ही होगा,
हार मैं मानू नहीं।।
संघर्षों ने आकर घेरा मुझे,
निराशाओं ने भी झकझोरा मुझे।
तोड़ इनकी बेड़ियां जाना मुझे,
हार मैं मानू नही।।
जीवन का पथ अवलोकित कर,
कर्तव्यों को निज पूरा कर,
आनंदमग्न हो जाऊं मैं ,
हार मैं मानू नहीं।।
अनामिका तिवारी ‘ अन्नपूर्णा ‘