हार फूलो के
बन जाते हैं
हमसफ़र
दो अज़नबी
जब डालते हैं
हार गले में
होता मान
देव का
जब पहनाते हैं
हार गले में
फूलों की
देते इज्जत
माता पिता को
जब डाल
गले में हार
लेते आशीर्वाद
उनसे
विजयी के
जब दिखे
हार गले में
समझो
बढाया सम्मान
देश और
परिवार का
है तेरी
दुःखद कहानी
जब होती
यात्रा अंतिम
जीवन की
दिखते बहुत
हार गले में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल