हार नही मानूँगा (कविता)
भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ………
सच की दुल्हन का झूठे गहनों से श्रृंगार नही मानूँगा
करूँगा हर मुश्किल का सामना पर हार नही मानूँगा
छाये भले नभ पर कितने भी काले-काले बादल
संघर्षाें की श्रृंखला से भर जाये भले मेरा आँचल
कटीलें पथ पर चलना मेरी आदत है एक पुरानी
जो गढ़ जाती खुद मेरे जीवन की एक नई कहानी
नायक हूँ अपनी गाथा का कायर व्यवहार नही मानूँगा।
करूँगा हर मुश्किल………………………………।
नित चलते रहना सीखा मैंने जीवन की धूप से
हारी है असफलता मेरे जीवटता से भरे रूप से
लड़ा हर परिस्थिति से, न देता दोष किश्मत को
कर्मफल का हकदार हूँ नहीं माँगता रहमत को
विजेता हूँ आत्मयुद्ध का खुद को लाचार नहीं मानूँगा।
करूँगा हर मुश्किल………………………………।
मोहित शर्मा स्वतन्त्र गंगाधर