“हार तू उपहार है”
हार तू उपहार है,
तू जीत का श्रृंगार है।
तू सीख की है प्रतिध्वनि,
तू कर्म का ही प्रहार है।
तू मर्म में मर्मज्ञ सा,
तू चेतना का सार है।
हार तू…..।।
तू कल्पनाओं का निरूपण,
तू कर्मण्यता का प्रमाण है।
तू नवीनकृति अव्यक्त सी,
तू सफलता का आधार है।
तू प्रेरणा का स्रोत सा,
तू अभिव्यक्ति का प्रसार है।
हार तू…….।।
तू अव्यक्तता में व्यक्त है,
तू कल्पना में कृत्य है।
तू विवेचना में वचन सा,
तू शांति मे अभियान है।
तू जीत के विपरीत पर ,
तू जीत की ही उड़ान है ।
हार तू……..।।