हार गए तो क्या हुआ?
हार गए तो क्या हुआ? नए रास्ते खुल गए।
बस इतना हुआ कि कुछ संघर्ष के पल गए।।
जमाने से क्यो डरो? दर्द को साथी बनाओ।
जो सीखा पहले उसको औऱ मजबूत बनाओ।।
असफलताओं से ही तो बनता जीवन महान।
फिर से नए युद्ध को तुम सम्भालो तीर कमान।।
होगी जय निश्चित तुम्हारी कोई नही रोक पायेगा।
तुम्हारी विजय गाथा को तब हरेक होठ गायेगा।।
जिस पर चोट पड़ी वह पत्थर भी मूर्ति बन गया।
एक मल्लाह का सपूत भी राष्ट्रपति बन गया।।
छोड़ दिया मैदान तो फिर कायर कहलाओगे।
अपने ही कुल को तुम कलंकित कर जाओगे।।
पाँच पांडवो ने अक्षौहिणी सेना को हराया था।
तब माधव ने पंच जन्य ध्वनि को बजाया था।।
डरता क्यो है? जब हरि भी स्वयं तेरे साथ है।
तेरे शीश के ऊपर तेरे माँ बापू का हाथ है।।
देह नष्ट करने का विचार भी मन मे मत लाना।
बंद कमरे में रहकर तू कायर मत बन जाना।।
आज तुझे तेरी जवानी का प्रमाण देना ही होगा।
हार से जीत की ओर अब प्रयाण करना ही होगा।।
प्रवीण भारद्वाज✍️