हारे जंग जीवन का
बढ़ते कोरोना महामारी में हम सब ने अपने कई खास और अजीज मित्रो को खो दिया । आज इस विषय पर एक छोटी से लेखनी का प्रयास जिसको मैं कुमार अनु अपने कलमो से सजाने का प्रयास किया हूँ।
घरों में तो वो भी थे साहब
पर जिम्मेदारी थी कुटुंब को ढोने का।
हृदय में ऐसा चोर समाया और
डर था खुद को खोने का ।।
जब हारने लगे वो जंग जिंदगी की
तो जी करता था उन्हें सोने का।
अब हम भी बेसहारा सा हो गए
जी करता है अब रोने का ।।
न जाने कौन सा कॉल और संदेश आखिरी होगा
खबर कब मिल जाए उनका न होने का।
धन्यवाद तुझे ऐ जिंदगी, पर क्या जरूरत
थी ऐसा बीज बोने का ।।
मुस्कान चेहरे पर लाख क्यों न हो
पर गम दिल मे है अपनो को खोने का ।
कहते थे कि आँसू न बहाना इन आँखो से तुम
पर दिल करता है खुल कर रोने का ।।
अतः जीवन को खुशहाल तरीके से अपनापन कायम रखते हुए जी लिया जाय। कौन सी हवा आखिरी होगी ये भी नही पता । कैसी लगी ये पंक्तियां, आप कमेंट करके जरूर बताएं।
✍? कुमार अनु