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9 Oct 2024 · 1 min read

हारा हूँ कई बार, फिसला हूँ राहों में,

हारा हूँ कई बार, फिसला हूँ राहों में,
पर हर बार उठा हूँ, नए जज़्बातों में।

फेल होकर भी ये दिल कहता है मुझसे,
“तू करेगा, तू जीतेगा इन हालातों में।”

थक चुका हूँ सफर में, मंज़िल दूर दिखती,
फिर भी साये सी खड़ी है उम्मीद रातों में।

छोड़ने का ख़याल आए, तो दिल ये बोले,
“ये तेरा है, बस क़दम बढ़ा, इन बातों में।”

हर हार से उभर कर फिर चल पड़ा हूँ,
जाने कैसी आवाज़ है इस जुनून की रातों में।

गहराइयों से उठती है ये गहरी आहट,
“तू करेगा, तू जीएगा, इन ख्वाबों के साथों में।”

मेहनत का वो चिराग़ फिर जल उठता है,
सपनों की दौड़ में, बस तुझी से बातों में।

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