हाय हाय रे कमीशन
(शेर)- नहीं है जगह बैठने की सरकारी बिल्डिंगों में, बरसात में।
जगह जगह बने है गड्ढें सरकारी सड़कों पर, बरसात में।।
यह सारा खेल है कमीशन का, काम मजबूत कैसे होगा।
कितना बड़ा होता है धोखा, कमीशन में जनता के साथ में।।
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किसी को आबाद, किसी को करता है तू बर्बाद।
तुम्हें कहूँ जिंदाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।
हाय हाय रे कमीशन—————————(4)
टपकती है बारिश में, क्यों बिल्डिंगे ये सरकारी।
बिखरती है बारिश में, क्यों ये सड़कें सरकारी।।
कमीशन के बांध – ब्रिज, क्या होते हैं इतने फौलाद।
तुम्हें कहूँ जिंदाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।
हाय हाय रे कमीशन————————–(4)
करवाना है काम जल्दी तो, कमीशन देना होगा।
बिना कमीशन फ़ाइल पर, कोई साइन नहीं होगा।।
देखो कमीशन वाले, कितने निडर है और आजाद।
तुम्हें कहूँ जिन्दाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।
हाय हाय रे कमीशन————————–।।
बन गए कमीशन से, कम वर्षों में महल वाले।
अब चलते हैं कारों में, कल पैदल चलने वाले।।
कमीशन की दौलत से, करें मौज उनकी औलाद।
तुम्हें कहूँ जिन्दाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।
हाय हाय रे कमीशन—————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)