96. हाय रे वोट
प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का,
सबका मन है करता ।
जो खुद को इसके काबिल समझता,
वही हिस्सा लेता, नहीं तो दूर रहता ।।
एक वोट की खातिर लोग अपना,
जीत हेतु, सबसे गुहार लगाता ।
आँखिरी साँस तक कोशिश करता,
कि उसका वोट हमें मिल जाता ।।
जब एक बार से मन नहीं भरता,
तो दो चार बार प्रयास वो करता ।
कुछ तो इतने निष्ठुर होते हैं कि,
आपका प्रयास विफल कर देता ।।
सभी को एक दूजे से माँगने का,
यहाँ अब,चल गया है क्रम ।
जो ना माँगा हो किसी से,
उसका निकल गया है दम ।।
आप इसे मुझपर समझें,
या समझे किसी और पर ।
एक वोट पाने की खातिर,
सबको कहते हैं सर-सर ।।
ना जाने यह वोट हमसे,
क्या-क्या है करवाता ।
कभी तो अच्छा लगता इससे,
कभी जी घबराता ।।
कर्म बड़ा है कि नोट बड़ा है ।
वोट बड़ा है कि आप ।
सोच-समझकर फैसला लेना,
हमारे सभी माई-बाप ।।
वोट की खातिर यहाँ पर,
कितनों का लग गया है वाट ।
बहुत तो इसमें सँभल चुके हैं,
बहुतों का बिक चुका है खाट ।।
किसी-किसी के लिए यह,
बस नाम मात्र का वोट है ।
जिसके पास ये वोट है,
उसी का सबपर चोट है ।।
यही कारण है कि लोग,
यहाँ पर वोट खरीदते ।
सभी तो बिक जाते इसमें,
कुछ सिद्धांत पर रहते ।।
जो गाँधीवादी अपनाते,
वो बेकार हो जाते ।
और जो यहाँ बिक जाते,
वो आदर्शवादी कहलाते ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 02/02/2021
समय – 07 : 20 ( शाम )
संपर्क – 9065388391