हाय रे रिश्वत
हाय रे रिश्वत
लालच, तृष्णा, लोभ जगत में, रिश्वत के बहना और भाई
ईमानदार को ठेंगा दिखाने, मुद्रा रूप में यह आई ।
इसकी तुलना में फीकी है, गुड़, चीनी, और सारी मिठाई
मंत्र पढ़कर कुछ लोगों ने, रिश्वत की ज्योत जलाई ।
इसको खाकर कुछ लोगों ने, किया देश बदनाम
धूमिल हो गई राष्ट्र छवि पर, आया ना उनका नाम ।
लुट गया देश का आम नागरिक, समान के बढ़ते दाम
इसके आगे संपूर्ण धरा पर, कोई ना मुश्किल काम ।
बार-बार रिश्वत लेकर भी, हुई ना उनको समाई
इसके सामने ईमानदारी भी, बेबस नजर है आई ।
कई बार तो इसको देख कर, उसकी जीभ ललचाई
रिश्वतखोर को देखो फिर भी, लाज शर्म ना आई ।।
मोटी तनख्वाह लेकर भी, रिश्वत से करते ज्यादा प्यार
अपने बच्चों से भी ज्यादा, इसका करें वो हार श्रंगार ।
इसको देकर कई भगोड़े, देश से हो गए आज फरार
रिश्वतखोरो की करनी से, कर्ज़ का चढ़ गया हम पर भार ।।
जो डूबा इस पाप के दरिया, उसको सजा दिलाना है
लोभ लालच को उसके मन से, हमको आज भगाना है ।
लोकतंत्र को हम सबको, रिश्वत मुक्त बनाना है
रिश्वत दूर भगाओ संदेश, जन-जन तक पहुंचाना है ।।