हाय रे ये क्या हुआ
डा . अरुण कुमार शास्त्री — एक अबोध बालक ❤️❤️ अरुण अतृप्त
फेंक कर गज़ल गालिव वो महफिल में इतराते फिरते हैं
आइना अपना दिखा कर सूरत पड़ोसी की बताते फिरते है
शुकर है उनका आये है बहुत दिनों के बाद इस तरफ
महफिल तो सजती हर रोज है वो सिर्फ शम्मा जलाते फिरते हैं