हाय राम देखे थे कई सपने
ईश्वर कितना रूठ गया है,
पिता का साया छूट गया है …….
देखे थे कई सपने,
हाय राम देखे थे कई सपने……
छोटे छोटे भाई बहन है,
उनको न ही भूख सहन है……
किसको समझे अपने,
हाय राम देखे थे कई सपने……
हम पर ही क्यो आई गरीवी,
क्या समझे हम लोग अमीरी…..
कोई नही यहाँ अपने,
हाय राम देखे थे कई सपने….
कृष्णकांत गुर्जर धनौरा