हायरे गरीबी
हायरे गरीबी जवनिया के खा गईल
कावना जनमिया के बदला सधा गईल
हायरे गरीबी जवनिया के खा गईल
पाई-पाई जोड़के पाई बहुत हम कमनी
अपना जिनीगिया ला कुछ नाहीं कईनी
पेटवे के भरे में उमर सारा बीत गईल
हायरे गरीबी जवनिया के खा गईल
पईसा बा बाबू – माई पइसे हित पताई
पईसे पे सरा दुनिया मरऽता ए भाई
पईसे के चलते भाई भाई के ना भईल
हायरे गरीबी जवनिया के खा गईल
कऽ बऽ जवानी आइल कऽ बऽ गईल
जिनगी के शऽवक पुरा नाहीं भईल
सेजिया पे सोचते लगन भिनुसार हो गईल
हायरे गरीबी जवनिया के खा गईल
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गीत – जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया (बिहार)