Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2024 · 1 min read

हादसे

ज़िंदगी में कुछ ऐसे हादसे पेश आते हैं ,

यह क्या हुआ ? कैसे हुआ ? क्यों हुआ ?
हम सोचते रह जाते हैं ,

वक्त की गर्दिश में किसी का ज़ोर
चलता नहीं ,
लाख एहतियात पर भी तक़दीर का पासा
पलटता नहीं ,

जो तय है वो होकर रहता है ,
इंसां कुदरत के हाथों कठपुतली बनकर रह जाता है,

कुछ सवाल ज़ेहन पर कौंधते रह जाते हैं ,
जिनके जवाब हम ताउम्र ना ढूँढ़ पाते हैं ।

Language: Hindi
2 Likes · 117 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

ढोल  पीटते हो  स्वांग रचाकर।
ढोल पीटते हो स्वांग रचाकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
gurudeenverma198
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल
Dr MusafiR BaithA
मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्यार दर्द तकलीफ सब बाकी है
प्यार दर्द तकलीफ सब बाकी है
Kumar lalit
ठूँठ ......
ठूँठ ......
sushil sarna
समय को पकड़ो मत,
समय को पकड़ो मत,
Vandna Thakur
मन के टुकड़े
मन के टुकड़े
Kshma Urmila
चुनावी खेल
चुनावी खेल
Dhananjay Kumar
इंसान का व्यस्त रहना बहुत
इंसान का व्यस्त रहना बहुत
पूर्वार्थ
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
दोस्त
दोस्त
Shweta Soni
सत्यपथ
सत्यपथ
डॉ. शिव लहरी
बसंत हो
बसंत हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
कृष्णकांत गुर्जर
"क्या होगा?"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
पंकज परिंदा
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अंधी दौड़
अंधी दौड़
इंजी. संजय श्रीवास्तव
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
भारती के लाल
भारती के लाल
पं अंजू पांडेय अश्रु
हैं भण्डार भरे
हैं भण्डार भरे
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ज़रूरत नहीं
ज़रूरत नहीं
Dr fauzia Naseem shad
समंदर
समंदर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...